वो कौन है
वो कौन है
निराकार सा एक आकार मन संजो रहा है
वो कौन है जो मेरे अंदर जड़ पकड़ रहा है।
एक साया या जागते सपनों की है माया
ये किसका अक्स मन में उभर रहा है
ये कौन है जो मेरे सपनों में रंग भर रहा है।
एक निर्मल, ठंडक भरी परछाईं
जो मेरे दिलो दिमाग पे है छाई
साए में जिसके मेरा बदन तप रहा है
ये कौन है जो चुपके से दिल में घर कर रहा है।
चलता है भीड़ में भी दामन में जो सिमट कर
पकड़े है हाथ मेरा, वीरानों में भी अक्सर
साया तो वो नहीं है, अंधेरों को छल रहा है
मेरा हमकदम सा वो भी, साथ मेरे चल रहा है।
रात भर जो मुझ संग करवट बदल रहा है
सोता है साथ में ही, मेरे साथ जग रहा है
दे दे के थपकी मुझको लोरी मुझे सुनाए
हर सुबह गरम प्याली चाय सा मुझे जगाए।
मेरे साथ साथ वो भी हौले हौले बदल रहा है
दुनिया की टेढ़ी सीधी राहों पे चल रहा है
चुप रहता है, सुनता है फिर अपनी सी चाल चल रहा है
हंसता है, हंस कर के खुद को ही छल रहा है
मेरे अंदर का सीधा मानुस तिल तिल कर के मर रहा है।।
आभार - नवीन पहल - २२.०६.२०२२ 🙏👍😀🌹
# प्रतियोगिता हेतु
Seema Priyadarshini sahay
23-Jun-2022 10:34 AM
बहुत खूबसूरत
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Abhinav ji
23-Jun-2022 07:50 AM
Very nice
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Swati chourasia
23-Jun-2022 06:42 AM
बहुत खूब 👌
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